Monday 27 July 2020

उपभोक्ता व्यवहार सिद्धांत

उपभोक्ता व्यवहार सिद्धांत

वह सिद्धांत है जिसमें उपभोक्ता द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं के उपयोग के प्रति व्यवहार को दर्शाया जाता है
                                  जिसमें उपभोक्ता वस्तुओं तथा सेवाओं से प्राप्त होने वाली उपयोगिता की तुलना करता है तथा अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने का प्रयास करता है

उपयोगिता 

किसी वस्तु या सेवा के उपभोग से प्राप्त होने वाली संतुष्टि के माप को उपयोगिता कहते हैं

उपयोगिता को मापने के दृष्टिकोण

(1) गणनावाचक
(2) क्रमवाचक

उपयोगिता के प्रकार 

1 ) कुल उपयोगिता
किसी वस्तु की विभिन्न इकाइयों का प्रयोग करने से प्राप्त होने वाली उपयोगिता के कुल जोड़ को कुल उपयोगिता कहते हैं

2 ) सीमांत उपयोगिता
किसी वस्तु की एक अधिक या कम इकाई का उपभोग करने पर कुल उपयोगिता में
 जो अंतर आता है। उसे  सीमांत उपयोगिता कहते हैं
                 MR = TUn - TUn-1

कुल उपयोगिता और सीमांत उपयोगिता में संबंध

सीमांत उपयोगिता का हास नियम

सीमांत उपयोगिता का हास नियम यह दर्शाता है कि किसी वस्तु या सेवा की अधिक इकाई का प्रयोग करने पर उससे प्राप्त होने वाली सीमांत उपयोगिता घटती जाती है , 
इसे फ्रेंच अर्थशास्त्री हरमैन हेनरिक गोसेन के नाम पर गोसेन का प्रथम नियम कहा जाता है

सम सीमांत उपयोगिता का हास नियम

उपयोगिता विश्लेषण में उपभोक्ता का संतुलन " सम सीमांत उपयोगिता नियम " द्वारा स्पष्ट किया जाता है 
                                जिसे गोसेन का दूसरा नियम कहा जाता है  इसमें वस्तु की अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने पर वस्तु से मिलने वाली उपयोगिता उस पर खर्च की गई मुद्रा की अंतिम इकाई के बराबर होती है
MUx.      MUy.     MUz
------  =  ------- =  ------ 
Px.           Py.            Pz

सीमांत प्रतिस्थापन दर 

एक वस्तु की अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने के लिए दूसरी का त्याग करना होता है जो सीमांत प्रतिस्थापन दर कहलाती है

कीमत रेखा या बजट रेखा

दो वस्तुओं के ऐसे संयोजनो को प्रकट करती है जो उपभोक्ता अपनी सीमित आय व वस्तुओं की कीमतों के आधार पर खरीद सकता है

अनधिमान वक्र/ उदासीनता वक्र विश्लेषण
 
जे.आर.हिक्स द्वारा अपनी पुस्तक " वैल्यू ऑफ कैपिटल " में दिया गया है ! यह विचार बताता है कि उपयोगिता को मापा नहीं जा सकता , किंतु उयोगिता को एक वरीयता क्रम में रखा जा सकता है 
               --> इस क्रमवाचक विचार का प्रारंभ वर्ष 1881 में एजवर्थ की पुस्तक मैथमेटिकल फिजिक्स हुआ 

--> अनधिमान वक्र/ उदासीनता वक्र विश्लेषण दो वस्तुओं के उन संयोजनो को दर्शाता है जो उपभोक्ता को सम्मान संतुष्टि प्रदान करते हैं 

--> मान्यता

1) सीमित आय , दो वस्तुएं
2) स्थिर कीमत
3) आय , रुचि में कोई परिवर्तन नही

--> विशेषताएँ
1) ढाल बाएं से दाएं नीचे की ओर
2) मूल बिंदु की ओर उत्तल होता है
3) ऊंचा IC संतुष्टि का ऊंचा स्तर प्रकट करता है
4) दो IC एक दूसरे को नहीं काटते   

उपभोक्ता

उपभोक्ता वह आर्थिक एजेंट होता है जो अपनी आवश्यकताओं की प्रत्यक्ष संतुष्टि के लिए वस्तु व सेवाओं का उपभोग व उपयोग करता है

उपभोक्ता संतुलन

उपभोक्ता संतुलन वह स्थिति है जिसमें एक उपभोक्ता अपनी आय को विभिन्न वस्तुओं पर इस प्रकार खर्च करता हैं कि उसे अधिकतम संतुष्टि प्राप्त होती है
--> वह अपने आपको वर्तमान परिस्थितियों  में सबसे अच्छा मानता है तथा कोई परिवर्तन पसंद नहीं करता !

1) जब उपभोक्ता केवल एक ही वस्तु का उपभोग करता है

2) जब बता दो या दो से अधिक वस्तुओं का प्रयोग करता है